where endless thoughts are captured on a piece of paper.................... ਮਨ ਦੇ ਅਸੀਮਿਤ ਖਿਆਲਾਂ ਨੂੰ ਕਲਮ-ਬੱਧ ਕਰ ਕੇ ਕਾਗਜ਼ 'ਤੇ ਉਤਾਰਿਆ....................
सुप्रीत कौर सन्धु (आयु १२ वर्ष ) अनुवाद : हरदीप सन्धु
वाह ...
ਬਹੁਤ ਗੰਭੀਰ ਵਿਚਾਰੋਂ ਵਾਲੀ ਕਵਿਤਾ . ਦਿਲ ਕੋ ਛੂ ਗਈ ...ਮੁਬਾਰਕਾਂ !
surpreet toon tan aap hi haaiku nikli chhoti umer gall badhi
बहुत खूब सुप्रीत...बूढ़े बाबा से पेड़ की तुलना...!ज़िन्दगी में दोनो की छाँव ज़रूरी है...।
बहुत सुन्दर सुप्रीत..बूढ़ा बाबा और पेड़ ..एक दूसरे के पर्याय हैं....देखन में छोटी लगे..घाव करे गंभीर......हार्दिक बधाई.
वाह ...
ReplyDeleteਬਹੁਤ ਗੰਭੀਰ ਵਿਚਾਰੋਂ ਵਾਲੀ ਕਵਿਤਾ .
ReplyDeleteਦਿਲ ਕੋ ਛੂ ਗਈ ...
ਮੁਬਾਰਕਾਂ !
surpreet toon tan aap hi haaiku nikli
ReplyDeletechhoti umer gall badhi
बहुत खूब सुप्रीत...बूढ़े बाबा से पेड़ की तुलना...!
ReplyDeleteज़िन्दगी में दोनो की छाँव ज़रूरी है...।
बहुत सुन्दर सुप्रीत..बूढ़ा बाबा और पेड़ ..एक दूसरे के पर्याय हैं....देखन में छोटी लगे..घाव करे गंभीर......हार्दिक बधाई.
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