ਇਹ ਕਵਿਤਾ ਮੈਂ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ( ੨੦੧੦) ਨੂੰ ਵਿਸਾਖੀ 'ਤੇ ਲਿਖੀ ਸੀ ....
ਵਿਸਾਖੀ ਮੇਲਾ
ਚੇਤ ਤੋਂ ਬਾਦ
ਆਇਆ ਵਿਸਾਖ
ਲਿਆਇਆ ਵਿਸਾਖੀ ਮੇਲਾ
ਗੱਭਰੂ ਤੇ ਮੁਟਿਆਰਾਂ
ਨੱਚਣ ਤੇ ਗਾਉਣ
ਬੱਚੇ ਖਾਣ ਜਲੇਬੀਆਂ
ਰੌਣਕ ਲੱਗੇ
ਹਰੇਕ ਸਾਲ
ਇਸ ਵਿਸਾਖੀ ਮੇਲੇ ‘ਤੇ
ਹਾਂ ਇਸ ਵਿਸਾਖੀ ਮੇਲੇ ‘ਤੇ
ਸੁਪ੍ਰੀਤ ਸੰਧੂ (ਉਮਰ 12 ਸਾਲ)
ਜਮਾਤ - ਸੱਤਵੀਂ
यह कविता मैंने पिछले वर्ष वैशाखी पर्व पर लिखी थी .....ਜਮਾਤ - ਸੱਤਵੀਂ
वैशाखी मेला
चेत्र के बाद
आया वैशाख
लेकर आया
वैशाखी मेला
सभी मिलकर
नाचें गाएँ
बच्चे खाएँ
जलेबियाँ .......
जलेबियाँ .......
रौनक लगे
हर वर्ष
इस वैशाखी मेले पर
हाँ ...इस वैशाखी मेले पर !
सुप्रीत कौर सन्धु
कक्षा - सातवीं
अनुवाद : हरदीप सन्धु
सुप्रीत बेटी , बैशाखी पर बढ़िया कविता है । मैं दुआ करता हूँ कि इस अवसर की खुशियाँ आपके जीवन और साहित्य में सदा बनी रहें । आज जलेबियाँ (अगर सिडनी में मिलती हों तो) ज़रूर खाइएगा । बधाई !
ReplyDeleteਬਹੁਤ ਵਧੀਆ.....
ReplyDeleteਪਢ ਕੇ ਬਹੁਤ ਚੰਗਾ ਲੱਗਿਆ.
ਵਿਸਾਖੀ ਦੀਆ ਦਿਲੀ ਮੁਬਾਰਕਾਂ !
सुप्रीत का ब्लॉग बहुत ही प्यारा है... .. प्रशंसा करने के लिये मेरे पास शब्द ही नहीं हैं .मेरा भी ब्लॉग है पर पूरा नहीं बनाना आ रहा मुझे .अगर हो सके तो सुप्रीत मेरा ब्लॉग अपने जैसे बना दे .मुझे बहुत ख़ुशी होगी .मै पता नहीं दिन मे कितनी बारी सुप्रीत का ब्लॉग देख कर और पढ़ कर खुश होती हूँ .काश मेरी भी ये तमन्ना पूरी हो सकती .खैर आपको और सुप्रीत को बहुत -बहुत बधाई.
ReplyDeleteआपकी
प्रीत अरोड़ा
प्रीत बेटी मैं आपकी मदद कर सकता हूं । मैम के पास शायद ज़्यादा समय न हो । कैसा रहेगा ? रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु। rdkamboj@gmail.com
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