सुप्रीत बेटी,जिस प्यार के धागे को बहिन भाई की कलाई पर बाँधती है,वह धागा देखने में तो मज़बूत नहीं होता : लेकिन उसका प्रभाव बहुत मज़बूत और स्थायी होता है । आपने पूरे भाव को अपने हाइकु में संजो दिया है ।बहुत अच्छा लिखा है ।संस्कृत में कहते हैं-मितं च मनोहारी वच: [ कम से कम शब्दों में मनोहर-मन को भले लगने वाले, वचन कहना]।जब फुर्सत मिले , बस ऐसे ही लिखते रहना । -रामेश्वर काम्बोज
सुप्रीत बेटी,जिस प्यार के धागे को बहिन भाई की कलाई पर बाँधती है,वह धागा देखने में तो मज़बूत नहीं होता : लेकिन उसका प्रभाव बहुत मज़बूत और स्थायी होता है । आपने पूरे भाव को अपने हाइकु में संजो दिया है ।बहुत अच्छा लिखा है ।संस्कृत में कहते हैं-मितं च मनोहारी वच: [ कम से कम शब्दों में मनोहर-मन को भले लगने वाले, वचन कहना]।जब फुर्सत मिले , बस ऐसे ही लिखते रहना । -रामेश्वर काम्बोज
ReplyDeleteसुन्दर हाईकु पर्व पर.
ReplyDeleteशाबास! नियमित लिखो.
रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.
सुप्रीत बिटिया
ReplyDeleteबहुत बहुत प्यार !
बहुत बहुत आशीर्वाद !
अपनी मम्मा की तरह ही प्रतिभावान बनो !
यहां लगी हुई कविता अच्छी है , और भी अच्छा लिखो ।
अपनी प्यारी सी तस्वीर ब्लॉग पर ज़रूर लगाना ।
लग जाए तो मुझे मेल करना …
मैं फिर आऊंगा ।
राजेन्द्र स्वर्णकार
Very beautiful !
ReplyDeleteSurjit.