(ਇਹ ਕਵਿਤਾ ਮੈਂ ਓਦੋਂ ਲਿਖੀ ਸੀ ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਚੌਥੀ ਜਮਾਤ ਵਿੱਚ ਪੜ੍ਹਦੀ ਸੀ)
Cu`k- Cu`k krdI ryl g`fI
vyKo swry ikMnI v`fI
KWdI A`g hY pIvy pwxI
pqw nhIN ikQy jwvy mrjwxI
Swied myry nwnky jwvy
jW iPr myry dwdky jwvy
BUAw nUM qW zrUr imLky AwauNdI
qWhIEN vyK mYnUM sItI vjwauNdI
sBnw nwL myl krwvy ieh n`FI
Cu`k-Cu`k krdI ryl g`fI
ਸੁਪ੍ਰੀਤ ਸੰਧੂ ( ਚੌਥੀ ਜਮਾਤ)
छुक-छुक करती रेल गाड़ी
देखो सारे यह है कितनी बड़ी
खाती आग है , पीए पानी
पता नहीं कहाँ जाए मरजानी
शायद मेरे नानके जाए
या फिर मेरे दादके जाए
बूआ को तो ज़रूर ही मिलकर आए
तभी मुझे देखकर सीटी बजाए
सब से अपना कराती मेल
छुक-छुक करती आती रेल !
सुप्रीत संधु ( कक्षा- चौथी)
(यह कविता मैने चौथी कक्षा में लिखी थी)
अनुवाद : हरदीप संधु
सब से अपना कराती मेल
ReplyDeleteछुक-छुक करती आती रेल !
रेल पर सुंदर कविता लिखी सुप्रीत ने
रेल कराती मेल छुक-छुक आती नानके दादके
मुझे भी अपने नानके दादके याद आए तुम्हारी रेल के बहाने. थैंक्यू. अच्छी कविता है. इससे भी अच्छी कविता लिखना, मैं पढ़ने के लिए आता रहूँगा.
ReplyDeleteसुप्रीत बेटी अब छुक-छुक वाली रेल कम हैं पर उनमें सफ़र करने का मज़ा ही कुछ और है । जहाँ चाहती रुक जाती हैं। मैंने तो इस रेलगाड़ी में खूब सफ़र किया है । आपकी कविता तो हमें बचपन में पहुँचा देती है ।सैर कराने की बहुत बधाई ।
ReplyDeleteअरे वाह । रेल गाड़ी पर कितनी सुन्दर कविता लिखी है । अच्छा अब बताओ --रेल गाड़ी , रेल गाड़ी , छुक छुक , छुक छुक --यह गाना किसने गया है ?
ReplyDeleteबहुत अच्छी रही यह रेलगाड़ी तो..शाबास!
ReplyDeleteGood one !
ReplyDeletebeauiful poem supreet:)
ReplyDeleteछुक छुक..... बड़ी अच्छी रेलगाड़ी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteSupreet bahut hi wadiya likheya hai.
ReplyDeleteVery nice Supreet.Keep it up.May GOD bless you.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई!
ReplyDelete--
सुन्दर बाल कविता है!