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Sunday, November 14, 2010

Life of an orphan .....ਯਤੀਮ ਦੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ......यतीम की ज़िन्दगी ....













Life is so free, yet so restricted,
From all happiness I am evicted.

The earth is so full, yet so much more empty,
I sit in silence as all eyes watch me.

The world plays together, yet I am so alone,
We all have shelter but I have no home.
Everyone is cared for, yet I am so neglected,
They make fun of me, no sadness is detected.

Everyone is happy, yet I am so sad,
I wonder why they treat me so bad.
We are all well educated, yet I go to no school,
They are mean because they think it’s cool.

Everyone is eating, yet I have no food,
I know they laugh, but why be so rude,
Everyone matters, yet I am called names,
They will call me a tramp, I know, they are all the same,

They hit me, hurt me, yet I feel no pain,
I know tomorrow they will do it again.
Outside on sunny days they'll drink their sugared tea,
But no one knows that the sun will never shine for me.

Supreet Kaur Sandhu ( Grade 6th)

Caddies Creek Public School


"ਯਤੀਮ ਦੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ"

ਚਾਹੇ ਆਜ਼ਦ ਹੈ ਜ਼ਿੰਦਗੀ
ਫਿਰ ਵੀ ਬੰਦਸ਼ਾਂ ਨੇ
ਕੀਤਾ ਮੈਨੂੰ ਬੇਦਖਲ
ਸਾਰੀਆਂ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਤੋਂ ਏਸ ਨੇ
ਧਰਤੀ ਚਾਹੇ ਭਾਗਾਂ ਭਰੀ
ਫਿਰ ਵੀ ਹੈ ਖਲਾਅ
ਤੱਕਣ ਮੈਨੂੰ ਅੱਖੀਆਂ
ਮੈਂ ਬੈਠਾ ਜਦੋਂ ਚੁੱਪ-ਚਾਪ
ਖ਼ਲਕਤ ਸਾਰੀ ਖੇਡੇ ‘ਕੱਠੀ
ਮੈਂ ਬੈਠਾ ਹਾਂ ਇੱਕਲਾ
ਸਾਰਿਆਂ ਕੋਲ਼ ਛੱਤ ਹੈਗੀ
ਮੇਰਾ ਕੋਈ ਨਾ ਆਸਰਾ
ਹਰ ਇੱਕ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਦੇਖਭਾਲ਼
ਮੇਰਾ ਰੱਖਦਾ ਨਾ ਕੋਈ ਖਿਆਲ
ਉਡਾਉਂਦੇ ਓਹ ਮੇਰੀ ਖਿਲੀ
ਮੇਰੀ ਉਸਾਸੀ ਨਾ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਦਿਖੀ
ਹਰ ਜਾਣਾ ਖੁਸ਼ ਹੈ
ਪਰ ਉਦਾਸ ਹਾਂ ਮੈਂ
ਕਿਉਂ ਓਹ ਬੁਰਾ ਤੱਕਣ ਮੇਰਾ
ਨਾ ਸਮਝਿਆ ਮੈਂ
ਸਾਰੇ ਬਹੁਤ ਪੜ੍ਹ-ਲਿਖੇ
ਮੈਂ ਨਾ ਕੁਝ ਪੜ੍ਹਿਆ
ਓਹ ਸਾਰੇ ਬਹੁਤ ਖੁਦਗਰਜ਼
ਕਹਿਣ ਆਪੇ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਵਧੀਆ
ਸਾਰੇ ਭਰ ਪੇਟ ਖਾਵਣ
ਮੇਰੇ ਲਈ ਕੁਝ ਨਾ ਬਚਿਆ
ਮੈਨੂੰ ਪਤਾ ਓਹ ਹੱਸਣ ਮੇਰੇ ‘ਤੇ
ਕਿਉਂ ਮੇਰੇ ਨਾਲ਼ ਓਹ ਐਨੇ ਰੁੱਖੇ ਆ
ਹੁੰਦੀ ਹਰ ਇੱਕ ਦੀ ਹੋਂਦ ਵੱਖਰੀ
ਪਰ ਮੇਰੀ ਕੋਈ ਪਛਾਣ ਨਹੀਂ
ਓਹ ਕਹਿੰਦੇ ਮੈਂ ਹਾਂ ਇੱਕ ਅਵਾਰਾਗਰਦ
ਮੇਰਾ ਨਾ ਕੋਈ ਹਮਦਰਦ
ਓਹ ਦੁੱਖ ਦਿੰਦੇ
ਮਾਰਦੇ ਮੇਰੇ ਠੋਕਰਾਂ
ਪਰ ਨਾ ਜਾਣੇ ਮੈਂ....
ਕਿਓਂ ਨਾ ਕੋਈ ਦਰਦ ਮਹਿਸੂਸ ਕਰਾਂ
ਮੈਨੂੰ ਹੈ ਪਤਾ....
ਓਨ੍ਹਾਂ ਕੱਲ ਨੂੰ ਫੇਰ ਅਜਿਹਾ ਹੀ ਕਰਨਾ
ਬਾਹਰ ਕੋਸੀ ਧੁੱਪ ‘ਚ
ਓਹ ਲੈਣਗੇ ਚਾਹ ਦੀਆਂ ਚੁਸਕੀਆਂ
ਪਰ ਕੋਈ ਨਾ ਜਾਣੇ....
ਇਹ ਚਮਕਦਾ ਸੂਰਜ
ਮੇਰਾ ਕਦੇ ਵੀ ਨਾ ਬਣਿਆ !!!!

ਸੁਪ੍ਰੀਤ ਕੌਰ ਸੰਧੂ ( ਜਮਾਤ ਛੇਵੀਂ)
ਅਨੁਵਾਦ : ਹਰਦੀਪ ਕੌਰ ਸੰਧੂ

"यतीम की ज़िन्दगी "

चाहे आज़ाद है ज़िन्दगी
फिर भी बन्धन हैं
किया मुझे बेदख़ल
सभी खुशियों से इसने
धरती कितनी भी हो चाहे भाग्यशाली
फिर भी लगता सूना-सूना
देखती हैं मुझे सब आँखें
जब मैं बैठा चुपचाप
दुनिया सारी खेले एक साथ
मैं बैठा हूँ अकेला
सभी के पास है छत
मेरा कोई न आसरा
हर एक की होती देखभाल
मेरा न रखता कोई ख्याल
उड़ाते वो हैं मेरा मज़ाक
मेरी उदासी कोई न देखता
सभी हैं खुश
परन्तु उदास हूँ मैं
क्यों वो मेरा बुरा चाहते
यही समझ न पाया मैं
सभी बहुत पढ़े- लिखे
मैं न कुछ भी पढ़ा
वो बहुत ही खुदगर्ज़
समझते हम हैं बहुत बढ़िया
सभी भरपेट खाते
मेरे लिए कुछ भी न बचा
मुझे पता वो हँसते हैं मुझ पर
क्यों वो मेरे से हैं खफा
हर एक की होती अपनी हस्ती
मेरी कोई पहचान नहीं
वो कहते -मैं हूँ अवारागर्द
मेरा कोई न हमदर्द
वो दुख देते मुझे
मारें मुझको ठोकरें
पर न जानूँ
क्यों न मैं कोई दर्द
महसूस करूँ
यह मुझे है पता
वो कल को फिर ऐसा ही करेंगे
हल्की धूप में
वह लेंगे चाय पीने का मज़ा
पर यह किसी ने न जाना
यह चमकता सूरज
मेरा कभी न बना! 

सुप्रीत कौर संधु ( कक्षा : छठी) 
 अनुवाद : हरदीप कौर संधु

13 comments:

  1. सुप्रीत, बिटिया आपकी इतनी अच्छी कविता से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ. सारी एक बार में पढ़ गया. यतीम की पीड़ा को आपने समझा है और दर्द की आवाज़ में कहा है यह बहुत बड़ी बात है. मैं आपकी कविताएँ पढ़ता रहूँगा.

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  2. हक़ीक़त को बयान करती बहुत मार्मिक , परिपक्व कविता है । एक -एक शब्द नपा-तुला है । इतनी भावपूर्ण कविता लिखने के लिए मेरी तरफ़ से लाख-लाख बधाइयाँ !

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  3. एक यतीम कि भावनाओं को बहुत अच्छे से लिखा है ..बहुत मार्मिक प्रस्तुति

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  4. हरदीप जी हैरान हूँ सुपरीत इतनी स्यानी हो गयी? मार्मिक भाव , शब्द शिल्प बहुत सुन्दरता से बन पडा है। उसे मेरा आशीर्वाद दें। बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनायें। अनुवाद भी बहुत सुन्दर हुया है। बधाई। उसे उत्साहित करती रहें लगता है भविष्य मे अपने करियर के साथ साथ बहुत बडी साहित्यकार भी बनेगी।

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  5. ਸੁਪ੍ਰੀਤ ਬੇਟੇ ਦੁਨੀਆਂ ਦੇ ਬਦਨਸੀਬੀ ਮਾਰੇ ਲੋਕਾਂ ਵਾਸਤੇ ਹੁਣ ਤੋਂ ਹੀ ਤੇਰੇ ਕੋਲ ਦਰਦ ਹੈ ।ਅੱਗੇ ਚੱਲ ਕੇ ਤੁਸੀਂ ਮਹਾਨ ਕਾਰਜ ਕਰ ਸਕਣ ਦੇ ਸਮਰੱਥ ਹੋ ।

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  6. You write so well child, you are very gifted. Keep it up :)

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  7. प्रिय सुप्रीत ,
    इतनी छोटी सी उम्र में तुमने जिस गहराई से एक अनाथ बच्चे की भावनाओं को समझा है , वह क़ाबिले-तारीफ़ है...। यह तुम्हारे संवेदनशील मन की पहचान है...। हमेशा ऐसे ही रहते हुए उन्नति की अनन्त ऊँचाइयाँ छुओ , मेरी ऐसी ही कामना है...।

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  8. बहुत सुन्दर पोस्ट सजाई है आपने!

    बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
    --
    आपकी पोस्ट की चर्चा तो बाल चर्चा मंच पर भी है!
    http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/11/28_15.html

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  9. Supreet very well done.Ehni umar vich enna kuch likh dita.Its really gud.God bless you.

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  10. A big drop on small palm. Keep it up. Heartiest Congratulations!

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  11. ਹੋਰ ਅੱਗੇ,ਹੋਰ ਉੱਚਾ ਤੇ ਹੋਰ ਤੇਜ਼ ਹੋਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਝਲਕਦੀ ਹੈ।

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